इस राखी पर वो दोनो कई बहनों की राखी अधूरी कर गए, दो शख्स जो पुरे ब्यावर को वीरान कर गए

Vipin & Sunil File Photo

 Written by Avnish Wilson
avnishwilsonblogger@gmail.com


बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई

इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया 

Vipin Ariel File Photo


आज के ब्लॉग/स्टोरी में मै आपको 2 ऐसी शख्सियतो के बारे में बताऊंगा जो पिछले दिनों हम सबको छोड़कर एक ऐसी दुनिया में चले गए जहाँ जीते जी हम नहीं जा सकते है । सबसे पहले बात करते है राजस्थान के अजमेर जिले के ब्यावर निवासी विपिन एरियल उर्फ़ दीपू की, जिनका पिछले दिनों (18.8.21) इलाज के दौरान आकस्मिक निधन हो गया जिससे हर कोई हैरान व परेशान है । 

विपिन का जन्म 02.06.1981 को अजमेर जिले के ब्यावर कसबे में हुआ, विपिन जब लगभग 16-17 वर्ष के थे उस समय विपिन के पिता का निधन हो गया था । 

विपिन का पालन पोषण उनके दादा (स्व. जे सी एरियल) व उनके ताऊ ताई ने किया । विपिन का जीवन बहुत संघर्षो में भरपूर रहा परन्तु कभी भी उन्होंने किसी को अपने दुखी होने का ज्ञात नहीं होने दिया वो हमेशा खुश रहते थे और अपने आस पास वालो को भी अपने हंसमुख व्यवहार से खुश करते थे । 

चूँकि विपिन के पिता राजस्थान सरकार में कर्मचारी थे और अपनी मृत्यु के समय तक वह सेवानिवृत नहीं हुए थे इसिलिए विपिन की अपने पिता के स्थान पर नौकरी लग गयी । विपिन की सरकारी नौकरी में प्रथम पोस्टिंग ब्यावर से नजदीक झाक गाव में थी । विपिन के सहकर्मियों के अनुसार वह बहुत ज़िंदा दिल व मिलन स्वभाव वाले व्यक्ति थे । विपिन के सहकर्मी बताते है वह कभी भी किसी भी काम लिए "ना" नहीं कहते थे, उनको जैसा भी काम बोला जाए वो राज़ी ख़ुशी हर काम करते थे । 

नौकरी के दौरान विपिन ने 12वीं की परीक्षा पास की जिसके पश्चात विपिन का एलडीसी के पद पर प्रमोशन हुआ जिसके पश्चात उनको जवाजा स्थित सरकारी स्कुल में पोस्टिंग मिली, वहां भी विपिन ने सबको अपने कर्तव्यनिष्ठ व्यवहार से अपना बना लिया था । 

यदि बात करे विपिन के सामाजिक जीवन की तो विपिन उर्फ़ दीपू ईसाई समुदाय का एक बहुत ही जाना माना व बहुत इज्ज़तदार नाम था व हमेशा रहेगा जिसे हर कोई दीपू नाम से जानता है । राजस्थान का पहला व ऐतिहासिक चर्च ब्यावर में है जो शूल ब्रेड मेमोरियल चर्च के नाम से जाना जाता है । विपिन ने अपने बचपन काल से मृत्यु के कुछ दिन पहले तक ब्यावर चर्च में बहुत सेवा की, चर्च के लोगो के अनुसार विपिन बहुत साफ़ व नेक दिल इंसान थे । जब भी उनको चर्च से सम्बंधित कोई भी काम दिया जाता था तो वो पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य करते थे । 

विपिन की पत्नी ब्यावर के निजी स्कुल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है तथा विपिन के 2 बेटे व 1 बेटी है ।

विपिन के तीय की बैठक में समाज के लोगो ने बताया की जब ब्यावर के ईसाई समुदाय में किसी की भी मृत्यु होती थी या समाज की संध्या कालीन प्रार्थना सभा आयोजित होती थी तो विपिन अन्य समाज बंधुओ के साथ मिलकर सभी व्यवस्था पूर्ण करते थे परन्तु वह शायद यह नहीं जानते थे की उनका जीवन महज़ 40 वर्ष तक का ही रहेगा । 

विपिन अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए जिसमे उनकी पत्नी सहित 2 बेटे व 1 बेटी है । 

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Sunil Malkani File Photo


चिट्ठी न कोई सन्देश, जाने वो कौनसा देश, जहाँ तुम चले गए

बहती हवा सा था वो, उड़ती पतंग सा था, कहाँ गया उसे ढूंढो

दूसरा नाम है सुनील मलकानी जो भी राजस्थान के अजमेर जिले के ब्यावर शहर के निवासी थे जिनका पिछले दिनों (27 जुलाई 2021) आकस्मिक निधन हो गया । 

सुनील मलकानी एक ऐसे शख्स थे जिनके बारे में सबसे पहले बस इतना ही कहूँगा की उनका इस दुनिया में कोई दुश्मन नहीं था क्योकि वो अपने मधुर, मिलनसार व सबकी मदद करने वाले स्वभाव से दुश्मनों को भी अपना दोस्त बना लिया करते थे ।

मै आपको राजस्थान प्रदेश के अजमेर जिले के ब्यावर कसबे के निवासी स्वर्गीय सुनील मलकानी पुत्र हरीश मलकानी के बारे में बताने जा रहा हु जो अब से कुछ दिन पहले हम सबको छोड़ के एक अलग दुनिया में चले गए जहाँ शायद जीवित अवस्था में हम नहीं जा सकते । 

स्वर्गीय सुनील मलकानी का जन्म 22 मार्च 1983 को अजमेर जिले के ब्यावर कसबे में हुआ, उन्होंने अपनी पढाई ब्यावर से ही पूरी करने के पश्चात् दैनिक अखबार के कार्यालय ब्यावर में ही कार्य करना आरम्भ किया । उन्होंने कई वर्षो तक दैनिक अखबार में ही कार्य किया, उसके बाद उन्होंने जीवन की एक नई पारी में कदम रखते हुए ब्यावर के जिला क्षय निवारण केंद्र (चिकित्सा विभाग) में कंप्यूटर ऑपरेटर (संविदा) के रूप में कार्य करना आरम्भ किया तथा अगस्त 2011 तक जिला क्षय निवारण केंद्र में कार्य किया । जिला क्षय निवारण केंद्र में कई वर्षो तक कार्य करते हुए उन्होंने अपने मिलन स्वभाव से सबको अपना बना लिया था, कहने को तो वो टीबी कार्यक्रम के कंप्यूटर ऑपरेटर थे परन्तु उनके कार्य के प्रति इमानदारी, बुद्धिमत्ता व पूर्ण निष्ठा को देखते हुए सभी अपने कार्य में उनसे सलाह लेते थे । चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों के अनुसार वो कभी किसी को किसी भी कार्य के लिए "ना" नहीं कहते थे जो कोई भी उनके पास किसी भी कार्य के लिए आता था वो सबका कार्य करते थे ।

उसके बाद उन्होंने नसीराबाद स्थित कार्यालय में स्टेनोग्राफर (संविदा) के रूप में मज़ह 01-1.5 वर्ष तक कार्य किया । उसके बाद एक बार फिर से उन्होंने (चिकित्सा विभाग) अजमेर शहर के टीबी अस्पताल में टी बी कार्यक्रम के तहत सांख्यिकीय सहायक के रूप में कार्य करना आरम्भ किया । टीबी अस्पातल में उन्होंने 2012 (संभावित) से 2014 तक कार्य किया । एक बार फिर से उन्होंने अपने मिलन स्वभाव व कार्य के प्रति इमानदारी के कारण सबको अपना प्रशंसक बना लिया । टीबी अस्पताल में कार्यरत सबसे वरिष्ठ कार्मिक विकास ठक्कर के अनुसार सुनील मलकानी का ऑफिस टाइमिंग सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक था परन्तु कार्य की अधिकता व उनके कार्य के प्रति निष्ठा के कारण वो सुबह से शाम 5 बजे तक अस्पताल में रहकर मरीज़ हित में कार्य करते थे, काफी बार ऐसा समय आया जब टीबी विभाग (ओपीडी) अपने समय के अनुरूप दोपहर 2 बजे बंद हो जाया करता था परन्तु लम्बित कार्यो (Pending Work) को पूरा करने के लिए वो सम्पूर्ण इमानदारी के साथ अपना कार्य दोपहर 2 बजे बाद भी जारी रखते थे ।    

कहते है सच्चे दिल के साथ मेहनत करने वालो को भगवान उनकी मेहनत का फल ज़रूर देता है तो चिकित्सा विभाग में कई वर्षो तक सम्पूर्ण इमानदारी व पूर्ण निष्ठा के साथ संविदा की नौकरी करने के बाद उनको राजस्थान के ऊर्जा विभाग में अजमेर शहर में हातिबाटा स्थित डिस्कॉम ऑफिस में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर स्थायी रूप से नौकरी मिली । 

एक बार फिर से उन्होंने एक नए विभाग में (जिसकी उनको कोई जानकारी नहीं थी) कार्य करना आरम्भ किया, तो हर बार की तरह अपने मिलन स्वाभाव व कार्य के प्रति इमानदारी के कारण उन्होंने सबको अपना बना लिया छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक सब उनके कार्य से बहुत प्रभावित थे l 

चूँकि सुनील मलकानी मूल रुल से ब्यावर के रहने वाले थे परन्तु रोज़गार (नौकरी) के कारण उनको अजमेर आना पड़ता था तो उन्होंने उनके स्थानान्तरण के लिए कई बार आवेदन किया परन्तु किन्ही कारणों से उनका स्थानान्तरण नहीं हुआ l कहते है की सच्चे दिल वालो की मदद स्वम भगवान करते है तो एक समय ऐसा आया की सुनील को अपने स्थानान्तरण के लिए कोई भाग दौड़ नहीं करनी पड़ी और बहुत ही सहजता के साथ उनका स्थानान्तरण ब्यावर से अजमेर हो गया l 

अजमेर से स्थानान्तरण के पश्चात् उनको ब्यावर के AVVNL कार्यालय में पोस्टिंग मिली, वहां भी उन्होंने बहुत इमानदारी के साथ कार्य किया परन्तु वो शायद नहीं जानते थे की उनकी इस इस दुनिया की यात्रा कुछ वर्ष की ही है और बीते 27 जुलाई 2021 को वो हम सबको छोड़कर व हमारी आँखे नम करके एक दुनिया में चले गए जहाँ शायद जीवित अवस्था में हम नहीं जा सकते l  

सुनील अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए जिसमे उनकी पत्नी, 1 बेटी सहित बूढ़े माता-पिता है । 

तो आइए हम सब मिलकर पिता परमेश्वर से विपिन एरियल व सुनील मलकानी के परिवार के लिए प्रार्थना करे की प्रभु परमेश्वर उनके दुखो को दूर करे व अपनी असीम शांति से उनके जीवन को भर दे l

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